मंढविनी या भाल देव: लोनारी कुंभी मराठा समुदाय की विशिष्ट विवाह रस्म

mandhavinee or bhaal dev

मध्य प्रदेश के लोनारी कुंभी मराठा समुदाय में विवाह के समय निभाई जाने वाली एक और महत्वपूर्ण रस्म है, जिसे “मंढविनी” या “भाल देव” भी कहते हैं। यह रस्म कुल देवता और पूर्वजों की पूजा के माध्यम से वर-वधू के नए जीवन की शुभ शुरुआत का प्रतीक है। मंढविनी रस्म का महत्व मंढविनी रस्म में … Read more

बारहमासी रस्म: घर की पवित्रता और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की परंपरा

barahmasi

बारहमासी लोणारी कुंबी के विवाह के दौरान किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक अनुष्ठान है, जिसे खासतौर पर मंडप (विवाह या किसी शुभ कार्य से जुड़ी संरचना) के दिन शाम 4-5 बजे के बीच किया जाता है। यह अनुष्ठान घर को पवित्र करने और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के उद्देश्य से किया जाता … Read more

गोत्र के प्रकार: जानें गोत्र की पूरी जानकारी और उनके महत्व

Gotra ke prakar

सनातन धर्म में गोत्र का बहुत महत्व है। जब शादी, पूजा या कोई धार्मिक कार्य होता है, तो गोत्र पूछा जाता है। यह परंपरा हमारी सांस्कृतिक और पारिवारिक पहचान को दर्शाती है। गोत्र का अर्थ उदाहरण के लिए, अगर किसी का गोत्र “कश्यप” है, तो इसका मतलब है कि वह कश्यप ऋषि के वंशज हैं। … Read more

कुंभी मराठा के प्रकार: एक संक्षिप्त परिचय

Types of Kunbi Maratha

भारत में कुंभी मराठा समुदाय एक प्राचीन और प्रतिष्ठित जाति है, जिसे उनकी भौगोलिक स्थिति, व्यवसाय, और सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया है।  यह समुदाय मुख्यतः महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, और गुजरात में फैला हुआ है। आइए कुंभी मराठा के प्रमुख प्रकारों और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से … Read more

लोणारी कुंबी मराठी शादियों में “वरग” का क्या महत्व है?

significance of "Varag" in Marathi weddings

लोणारी कुंबी मराठी शादियों में “वरग” प्रणाली का संबंध व्यक्ति की जन्म राशि और नक्षत्र से है। यह वैदिक ज्योतिष पर आधारित एक प्राचीन पद्धति है, जिसका उद्देश्य विवाह की अनुकूलता और सामंजस्य सुनिश्चित करना है। वरग को जानवरों से जोड़ा गया है, जो व्यक्ति के स्वभाव और व्यवहार को दिखाते हैं। वरग का अर्थ … Read more

पौष मे विवाह से जुड़े कार्य क्यों वर्जित होते हैं?

marriage related activities prohibited in Paush

हिंदू धर्म में चंद्र कैलेंडर के आधार पर महीनों और तिथियों का निर्धारण किया जाता है। पौष मास हिंदू पंचांग का दसवां महीना है, जो मार्गशीर्ष (अगहन) के बाद और माघ मास से पहले आता है। हर चंद्र मास को दो पक्षों में बांटा गया है: पौष शुक्ल और पौष कृष्ण में अंतर पौष शुक्ल … Read more

खन मिट्टी रस्म: कुंबी मराठा शादियों की महत्वपूर्ण रस्मों मे से एक

khan mitti

भारतीय समाज विविध परंपराओं और रीति-रिवाजों से समृद्ध है। मराठा समुदाय की शादियों में निभाई जाने वाली खन मिट्टी रस्म इसकी अनोखी और महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। यह रस्म न केवल सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है, बल्कि सामूहिकता और श्रद्धा का भी प्रतीक है। आइए, इस रस्म के बारे में विस्तार से जानें। … Read more

मराठी शादियों के मंडप मे “मुंडा-मुंडी” का महत्व: परंपरा और सांस्कृतिक पहलू

Munda-Mundi

मराठी शादी की परंपराओं में हर अनुष्ठान और हर प्रतीकात्मक तत्व का अपना एक विशेष महत्व है। इनमें से एक है “मुंडा-मुंडी“ जो मंडप के दो मुख्य स्तंभों को संदर्भित करता है। ये स्तंभ न केवल मंडप के संरचनात्मक आधार होते हैं, बल्कि इन्हें विवाह की पवित्रता और स्थायित्व का प्रतीक भी माना जाता है। … Read more

मराठी शादी की चूल्हा-मैकोथरी रस्म : क्यू बनाते है चूल्हा, कोठी और नाद वेल्का?

kunbi maratha

मध्य प्रदेश में स्थित लोनारी कुनबी समाज की सबसे लोकप्रिय रस्म चूल्हा-मैककोठरी रस्म है, जो एक प्राचीन परंपरा है। यह रस्म धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं। चूल्हा-मैकोथरी रस्म क्या है? मिट्टी का उपयोग इस रस्म में “खान मिट्टी” की रस्म से लाई गई पवित्र मिट्टी … Read more

मराठा साम्राज्य में कुंभी मराठा का ऐतिहासिक योगदान

Kumbhi Maratha in Maratha Empire

मराठा साम्राज्य का इतिहास साहस, रणनीति और सामाजिक सहयोग का प्रतीक है। इस साम्राज्य को मजबूती प्रदान करने में लोनारी कुंभी वर्ग का विशेष योगदान रहा। इनकी भूमिका केवल कृषक और सैनिक तक सीमित नहीं थी, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावशाली थी। लोनारी कुंभी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लोनारी कुंभी समुदाय मूलतः … Read more