भारत में कुनबी मराठा समुदाय एक प्राचीन और प्रतिष्ठित जाति है, जिसे उनकी भौगोलिक स्थिति, व्यवसाय, और सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया है।
यह समुदाय मुख्यतः महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, और गुजरात में फैला हुआ है। आइए कुनबी मराठा के प्रमुख प्रकारों और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
परिचय
कुनबी (कानबी) पश्चिम भारत के पारंपरिक कृषक समुदाय का एक सामान्य नाम है। यह समुदाय मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पाया जाता है, साथ ही मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल और गोवा में भी इसकी उपस्थिति है। महाराष्ट्र में कुनबी समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल किया गया है।
शब्द की उत्पत्ति
- कुन + बी: जिसका अर्थ है “वे लोग जो बीज बोकर फसल उगाते हैं।”
- कुनबावा/कुर: जिसका अर्थ है “कृषि करना।”
- कुटुंब/कुल: द्रविड़ भाषा से निकला शब्द, जिसका अर्थ है “किसान परिवार।”
इस प्रकार, “कुनबी” शब्द सीधे तौर पर कृषक वर्ग का प्रतीक है।
कुनबी जाति (Kunbi Caste)
कुनबी समाज के अंतर्गत
- धोनोजे,
- घाटोले,
- मासाराम,
- हिंद्रे,
- जाधव,
- झारे,
- खैरे,
- लेवा (लेवा पाटिल),
- लोणारी,
- और तिरोले जैसे कई उपसमूह आते हैं।
1. धोनोजे कुंबी
विशेषता: धोनोजे कुंबी मुख्यतः कृषि और पशुपालन से जुड़े हुए हैं। इन्हें मराठा संस्कृति के संरक्षक माना जाता है।
स्थान: यह समुदाय महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमाओं पर पाया जाता है।
2. घाटोले कुंबी
विशेषता: घाट क्षेत्रों में निवास करने के कारण इनका नाम ‘घाटोले’ पड़ा। यह समुदाय पारंपरिक खेती और औषधीय पौधों के उपयोग में निपुण है।
स्थान: पश्चिमी घाट और विदर्भ क्षेत्र।
3. मासाराम कुंबी
विशेषता: यह समूह अपने जीवंत उत्सवों और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।
स्थान: मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़।
4. हिंद्रे कुंबी
विशेषता: हिंद्रे कुंबी समुदाय साधारण जीवनशैली और अपने रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है।
स्थान: महाराष्ट्र और गुजरात की सीमावर्ती क्षेत्र।
5. जाधव कुंबी
विशेषता: यह समुदाय मराठा योद्धाओं की परंपरा से प्रेरित है और इनके बीच वीरता की कहानियां बहुत प्रचलित हैं।
स्थान: महाराष्ट्र और तेलंगाना।
6. झारे कुंबी
विशेषता: यह समुदाय जंगलों के संरक्षण और वन-आधारित जीवनशैली के लिए जाना जाता है।
स्थान: मध्यप्रदेश के वन क्षेत्र।
7. खैरे कुंबी
विशेषता: खैरे कुनबी पारंपरिक कृषि कार्यों में माहिर होते हैं और विदर्भ क्षेत्र में इनकी पहचान विशेष है।
स्थान: विदर्भ क्षेत्र, महाराष्ट्र।
8. लेवा (लेवा पाटिल)
विशेषता: यह समुदाय कुनबी मराठाओं में सबसे बड़ा समूह है। लेवा पाटिल अपने संगठित समाज और कृषि व्यवसाय में विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं।
स्थान: महाराष्ट्र, गुजरात, और मध्यप्रदेश।
9. लोणारी कुनबी
विशेषता: लोणारे समुदाय अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए जाना जाता है। इनकी रीति-रिवाज अन्य मराठा समूहों से थोड़ी अलग होती हैं।
स्थान: मुख्यतः मध्यप्रदेश।और महाराष्ट्र।
10. तिरोले कुनबी
विशेषता: तिरोले समुदाय कोकण क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है। इनके त्यौहार और परंपराएं कोकणी शैली से प्रभावित हैं।
स्थान: विदर्भ क्षेत्र, महाराष्ट्र।
कुनबी सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग है, जो पारंपरिक रूप से कृषि कार्य करते है और साधारण मिट्टी-पलस्तर वाले घरों में रहा करते थे।
मुख्य त्योहार जैसे मकर संक्रांति, होली, और दिवाली समान रूप से मनाए जाते हैं। हालांकि, स्थानीय रीति-रिवाज और परंपराएं उनकी भौगोलिक स्थिति और पेशे के अनुसार अलग हो सकती हैं।
मराठा साम्राज्य और कुनबी
शिवाजी महाराज के समय मराठा साम्राज्य की सेनाओं में बड़ी संख्या में मावल सैनिक इसी समुदाय से थे। शिंदे और गायकवाड़ जैसे मराठा राजवंशों की जड़ें भी कुनबी समाज से जुड़ी हुई हैं। समय के साथ कई कुनबी सैनिक संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में मराठा कहलाने लगे। उपनिवेश काल में मराठा और कुनबी की पहचानें मिलकर “मराठा-कुनबी” नामक एक समूह बन गईं।
सामाजिक और राजनीतिक पहलू
कभी-कभी इस समुदाय को लेकर सामाजिक तनाव भी देखने को मिला, जैसे खैरलांजी घटना। राजनीतिक स्तर पर भी जाति प्रमाण पत्र से जुड़े विवाद सामने आए। वर्ष 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मराठा और कुनबी अलग जातियाँ हैं।
कुनबी और कुर्मी संबंध
महाराष्ट्र के कुनबी और उत्तर भारत के कुर्मी समुदाय के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। दोनों ही कृषक जातियाँ हैं और कृषि कार्य में इनकी गहरी परंपरा रही है। 2006 में भारत सरकार ने इन्हें समान माना और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अधिसूचना जारी कर सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित किया।
कुनबी मराठा समुदाय में विविधता और एकता
कुनबी मराठा समुदाय के विभिन्न प्रकार अपनी-अपनी विशिष्ट पहचान और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, इन सभी के बीच एकता का भाव और मराठा संस्कृति के प्रति सम्मान समान रूप से देखा जाता है।
कहां पाए जाते हैं?
यह समुदाय महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात और कोकण के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है।